नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को महत्वपूर्ण फैसला
सुनाते हुए कहा कि राज्यों को खनिज वाली जमीन पर टैक्स लगाने का अधिकार है।
अदालत ने स्पष्ट किया कि इस पर कोई रॉयल्टी टैक्स नहीं है। चीफ जस्टिस डी
वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली नौ-जजों की सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 8-1
बहुमत से अपने ही कई पुराने फैसलों को रद्द कर दिया, जिससे इन राज्यों को
राहत मिली है। हालांकि अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि संसद के पास निकाले
गए खनिजों पर कर लगाने की सीमाएं, प्रतिबंध और यहां तक कि रोक लगाने की
शक्ति है। जस्टिस बी वी नागरत्ना ने बहुमत के फैसले से असहमति जताई।
कोर्ट का फैसला
चीफ
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ द्वारा लिखित और जस्टिस हृषिकेश रॉय, ए एस ओका,
जे बी पारदीवाला, मनोज मिश्रा, उज्जवल भुयान, एस सी शर्मा और ए जी मसीह
द्वारा सहमति व्यक्त की गई, इस फैसले में कहा गया है कि निकाले गए खनिजों
पर रॉयल्टी कर नहीं है। यह फैसला ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़,
मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे खनिज संपन्न राज्यों को लाभान्वित करता है।
बहस और असहमति
इस
फैसले के संदर्भ में जस्टिस बी वी नागरत्ना ने बहुमत के फैसले से असहमति
जताई। उन्होंने अपनी असहमति में कहा कि राज्यों को इस प्रकार का अधिकार
नहीं दिया जाना चाहिए।
पूर्वव्यापी लागू होने की संभावना
अब
नौ-जजों की पीठ बुधवार को फिर से विचार करेगी कि उनका फैसला पूर्वव्यापी
होगा या नहीं। अगर यह फैसला पूर्वव्यापी लागू होता है तो राज्यों को भारी
कर बकाया देना पड़ सकता है। राज्य चाहते हैं कि यह फैसला पूर्वव्यापी रूप
से लागू हो, जबकि केंद्र सरकार इसे भविष्य के लिए लागू करना चाहती है।
यह
फैसला खनिज संपन्न राज्यों के लिए एक बड़ी राहत है और इससे उन्हें अपनी
आर्थिक स्थिति सुधारने में मदद मिलेगी। लेकिन पूर्वव्यापी लागू होने की
स्थिति में राज्यों और केंद्र सरकार के बीच टकराव की संभावना भी बढ़ जाएगी।
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