तीन आपराधिक कानूनों के खिलाफ याचिका, सुप्रीम कोर्ट ने क्यों किया सुनवाई से इनकार

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तीन आपराधिक कानूनों को चुनौती देने वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिका बहुत ही औपचारिक तरीके से फाइल की गई है।

तीन नए आपराधिक कानूनों को चुनौती देने वाली पीआईएल की सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए  इनकार कर दिया कि इसे बेहद औपचारिक और हल्के तरीके से फाइल किया गया है। जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और पंकज मित्तल की बेंच ने कहा कि इस याचिका को खारिज किया जा रहा है क्योंकि अभी तक कानून लागू नहीं हुआ है। वहीं इस याचिका को बड़े हल्के तरीके से फाइल कर दिया गया है। ऐडवोकेट विशाल तिवारी याचिकाकर्ता की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता ने खुद भी पीआईएल वापस लेने का फैसला ले लिया। तिवारी ने जनवरी में तीनों नए आपराधिक कानूनों की वैधता पर सवाल उठाते हुए कहा था कि ये कानून नागरिकों की सुरक्षा करने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में औपनिवेशिक काल से चले आ रहे कानूनों को ही लागू रहने देना चाहिए। बता दें कि इन कानूनों का नाम बारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 हैं। 

ये विधेयक संसद में पास हो गए हैं। वहीं अभी इन्हें लागू नहीं किया गया है। याचिका में कहा गया था कि ये कानून निष्पक्ष सुनवाई के लिए सही नहीं हैं। ये तीनों कानून 1 जुलाई से लागू होने जा रहे हैं। ये तीनों कानून इंडियन पीनल कोड, कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर और इंडियन एविडेंस ऐक्ट की जगह लेंगे। तिवारी ने कहा था कि इन कानूनों पर रोक लगानी चाहिए। याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के जजों वाली एक कमेटी बनाई जानी चाहिए। इसमें वरिष्ठ वकील भी शामिल हों। यह सुनिश्चित किया जाए कि इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस से छेड़छाड़ ना हो और संपत्ति कुर्क करने की प्रक्रिया भी पारदर्शी बनाई जाए। 

हिन्दुस्तान टाइम्स से बातचीत में केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा था कि नए कानूनों में इस बात पर फोकस किया गया है कि न्याय मिले, ना कि सजा। इसमें भारतीय दर्शन का ध्यान रखा गया है। इसके अलावा इसके तहत दुनिया की आधुनिक न्याय व्यवस्था देने की कोशिश की गई है। तकनीक और विकास के साथ भी यह व्यवस्ता मेल खाती है।