एक आदमी के लिए सुप्रीम कोर्ट कैसे आ सकते हो, संदेशखाली मामले में ममता बनर्जी सरकार को फटकार

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एक आदमी के लिए सुप्रीम कोर्ट कैसे आ सकते हो, संदेशखाली मामले में ममता बनर्जी सरकार को फटकार

इस मामले में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही थी। अदालत ने उच्च न्यायालय की तरफ से दिए गए सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

संदेशखाली मामले में पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस सरकार के सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सोमवार को शीर्ष न्यायालय ने सीबीआई जांच का विरोध करने पर पश्चिम बंगाल सरकार को फटकार भी लगाई है। टीएमसी का पूर्व नेता शेख शाहजहां संदेशखाली में महिलाओं के खिलाफ अपराध और जमीन हड़पने के मामले में आरोपी है।

इस मामले में जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई कर रही थी। अदालत ने उच्च न्यायालय की तरफ से दिए गए सीबीआई जांच के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। साथ ही राज्य सरकार को कड़ी फटकार भी लगाई है। कोर्ट ने कहा, 'एक व्यक्ति के हित की रक्षा के लिए राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा कैसा खटखटा सकती है।'

इधर, राज्य सरकार की तरफ से पेश हुए वकील का कहना है कि वह हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दे रहे हैं, क्योंकि इसमें कई टिप्पणियां राज्य के खिलाफ की गई थीं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई वाली टीएमसी सरकार ने शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर की थी। इसमें कहा गया था कि हाईकोर्ट के 10 अप्रैल के आदेश में पुलिस बल समेत 'पूरे राज्य की मशीनरी को हतोत्साहित कर दिया है।'

सुप्रीम कोर्ट का कहना था कि राज्य को अगर सिर्फ टिप्पणियों से परेशानी थी, तो उन्हें उच्च न्यायालय के रिकॉर्ड्स के हटाने के लिए भी कह सकते थे। खबर है कि सुप्रीम कोर्ट गर्मियों की छुट्टियों के बाद इस मामले की सुनवाई करेगा। खास बात है कि प्रवर्तन निदेशालय यानी ED अधिकारियों पर संदेशखाली में हुए हमले की जांच CBI कर रही है। इसके अलावा उच्च न्यायालय ने महिलाओं के खिलाफ अपराध और जमीन हड़पने की भी जांच के लिए कहा है।