बलौदाबाजार। जिले के कसडोल स्थित वनांचल ग्राम रीको कल के कृषक परिवार के युवा सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश शुक्ला को डॉक्टरेट की उपाधि से नवाजा गया सुरेश शुक्ला की प्रारंभिक स्कूली शिक्षा ग्राम रीको कल चंदन तथा संकरा में हुई तत्पश्चात आगे की पढ़ाई के लिए महासमुंद चले गए जिले में मार्च कम उम्र में ही तकनीकी पत्रकारिता तथा सामाजिक क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए वर्ष 2009 में सामाजिक क्षेत्र में सक्रियता के साथ महासमुंद जिले में विभिन्न मुद्दों पर कार्य करने लगे। 15 वर्षों से जिले में सामाजिक कार्य के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाले युवा सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश शुक्ला को उनके अद्भुत कार्य क्षमता व कार्य कुशलता का मूल्यांकन का डॉक्टर की उपाधि से नवाजा गया।
डॉ सुरेश शुक्ला डॉक्टर से सम्मानित किए जाने वाले महासमुंद जिले के सबसे कम उम्र के पहले युवा है सुरेश शुक्ला से डॉक्टर सुरेश शुक्ला बनने तक का सफर 15 वर्ष का रहा। अपने 25 वर्ष के आयु से ही महासमुंद जिले में समाज विभिन्न नगर को उत्थान के लिए लग गए 15 वर्षों में महासमुंद जिले में उनकी उपलब्धियां में अब तक 600 युवाओं को कंप्यूटर व अजीब का के अन्य विषयों में प्रशिक्षित कर चुके हैं, 600 महिलाओं को सिलाई तथा आजीविका के विभिन्न विषयों प्रशिक्षण के विषय में समुचित जिले में 50000 से अधिक गरीब परिवारों के महिलाओं की महिला समिति के माध्यम में जोड़ एक डिजिटल प्लेटफार्म में लाकर उन्हें लेनदेन वह सरलीकरण में विशेष योगदान रहा है। जिले के 25 गांव में किसानों का संगठन तैयार कर जैविक कृषि की ओर प्रोत्साहित किया गया तथा बाल कल्याण के क्षेत्र में पूरे देश में अब तक चाइल्ड हेल्पलाइन के माध्यम से 738 बच्चों का बचाव पुनरुत्थान किया गया।
महासमुंद जिला जेल में 200 बंदियों को आजीविका के विषय में प्रशिक्षण देकर मुख्य धारा से जोड़े जाने हेतु प्रयास किया गया उनकी विशेष उपलब्धियां में उनके स्वयं के द्वारा सांप पकड़ने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति के बस्ती जोगी डेरा (तुमगाँव) मैं स्कूल जाने योग्य बच्चों को स्कूल दाखिल कराया गया तथा जनजाति जो की पीली थी उनके झोपड़ी में रहकर अपना गुजर बसर करते थे उनको सरकार द्वारा संचालित प्रधानमंत्री आवास योजना की जानकारी प्रदान कर उपरोक्त योजना से लाभान्वित कराया गया। विशेष पिछड़ी कमर जनजाति के अनेक परिवारों पर जीव तथा उनकी कलाकृति को निकालने का काम किया गया।
उनके कार्य क्षमता को देखते हो सरकार संचालित विभिन्न जिला स्तरीय सलाहकार समितियां में विशेष सदस्य का स्थान मिला हुआ है।साथ ही राज्य सरकार के विभिन्न समितियां में सदस्य रहे हैं महासमुंद जिले के महाविद्यालय में जीवन कौशल युवाओं को आजीविका के विभिन्न क्षेत्रों में मार्गदर्शन के लिए करार किया गया है।
दिव्यांगों के हित साधने की दिशा में इनका पहला अनुकरणीय है जिले में लगभग हजारों दिव्यांगों को एक प्लेटफार्म पर लाकर संगठन निर्माण करकेउनकी मूलभूत आवश्यकता,व दैनिक आवश्यकता की पूर्ति हेतु आजीविका प्रबंधन की दिशा में अनुकरणीय पहल किया गया। डॉ.शुक्ला द्वारा सरकार द्वारा संचालित अनेक योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का निरंतर कार्य किया गया। वैश्विक महामारी के दौरान भी इनके पाँव थमे नहीं।
जहां समूचा विश्व महामारी के आगोश में कोरोना के नियंत्रण व निवारण की पाठ जोड़ रहा था वह उनके द्वारा जन सामान्य को सहयोग को जाने के लिए सरकार से अनुमति मांगी उपरोक्त अवधि में कोरोना के बढ़ते आंकड़े के अनुपात में चिकित्सकिय सुविधा व मैन पावर की कमी थी, सरकार के पास संसाधन अपर्याप्त थे शासकीय संसाधनों की कमी के कारण सरकार के द्वारा इन्हें अनुमति मिल गई इसके बाद अपनी पूरी टीम के साथ जनमानस की आवश्यकताओं की पूर्ति में लग गए समय-समय पर इनके द्वारा कैंप लगाकर हैंड सेनीटाइजर,हैंड वॉश, मास्क वह हर्बल काढ़ा का निर्माण करवाया गया व जरूरतमंदों को निशुल्क वितरण किया गया।
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