बढ़ती साहित्यक चोरियों पर अंकुश लगाने उचित प्रबंधन की आवश्यकता : डॉ. आशीष श्रीवास्तव

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बालोद। शासकीय घनश्याम सिंह गुप्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय, बालोद में विधि विभाग द्वारा आभाषी मोड में साप्ताहिक फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम की कार्यशाला आयोजित की गई थी। यह कार्यशाला दिनांक 19 फरवरी से इस कार्यशाला की शुरुआत हुई थी, जिसका समापन दिनांक 24 फरवरी को हुआ। बीते 19 फरवरी से 24 फरवरी तक लगातार चले इस कार्यशाला के छठवें और अंतिम दिन के मुख्य वक्ता डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव सहायक प्राध्यापक विधि विभाग लखनऊ विश्व विद्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश एवं समापन समारोह के मुख्य अतिथि डॉ. पीके नायक वाइस चांसलर आईसेक्ट यूनिवर्सिटी हजारीबाग थे।
डा. आशीष कुमार अंशु ने उच्चतर शैक्षिक संस्थानों में बढ़ती साहित्यिक चोरियों को रोकने उचित एवं कुशल प्रबंधन की आवश्यकता विषय पर विस्तृत चर्चा की। प्रो. श्रीवास्तव ने अपनी चर्चा में तथ्यात्मक आंकड़ों को शामिल करते हुए वर्तमान समसामयिक परिदृश्य को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया और समस्या तथा इसके निदान दोनों पर चर्चा करते हुए, उचित मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कॉपीराइट एक्ट पर भी विस्तार से चर्चा करते हुए बताया कि, साहित्यिक चोरियों का आवरण हटाते हुए, आप किन-किन व्यवहारिक तकनीकों का प्रयोग कर एक प्रभावी लेख तैयार कर सकते हैं, जिससे साहित्यिक चोरियों के लांछन से बचा भी जा सके और एक प्रभावी और आकर्षक कृति भी तैयार की जा सके। उन्होंने भाषा के नवसोपान पर भी चर्चा करते हुए उसे सहज, सरल और सरस बनाने के उपायों पर भी बेहतर मार्गदर्शन प्रदान किया।
कार्यक्रम के अंतिम दिन के मुख्य अतिथि डॉ. नायक ने अपने संक्षिप्त, लेकिन सारगर्भित उद्बोधन में बताया कि, किन-किन स्थितियों में आपके शोध पत्र स्वीकार और अस्वीकार किये जा सकते हैं। शोध पत्र प्रस्तुत करते समय किन-किन बातों को ध्यान में रखा जाना आवश्यक है, उसका प्रारूप कैसा हों और एक व्यापक और आकर्षक शोध पत्र किस प्रकार तैयार किया जा सकता है। आज अंतिम दिन के अतिथि और मुख्य वक्ता क्रमशः डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव का स्वागत महाविद्यालय के ही वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. सीडी मानिकपुरी और भौतिक विभाग के रामाधीन साहू के द्वारा किया गया।
वहीं डॉ. प्रमोद कुमार नायक का स्वागत डॉ. जेके पटेल ने उनका स्वागत प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए वृहद रूप से परिचय कराया और ऐसे ओजस्वी वक्ता के विशाल वक्तित्व और उनकी उपलब्धियों को गिनाते हुए और कहा कि, ऐसे प्रखर वक्ता को सुनने का मौका बहुत कम लोगों को मिलता है, हम भाग्यशाली हैं जो हमें ऐसे ओजस्वी वक्ता को सुनने का अवसर मिल रहा है।
कार्यक्रम के संयोजक डॉ. राघवेश पांडेय ने पूरे विश्वास के साथ कहा कि, निश्चित तौर पर यह सात दिवसीय फैकेल्टी प्रोग्राम उम्मीद की नई किरण बनकर उभरेगा और सफलता के नये आयाम गढ़ेगा। मैं समझता हूं कि, इस कार्यशाला के माध्यम से कार्यक्रम में भाग ले रहे सभी प्रतिभागियों और शोधार्थियों की जिज्ञासाओं का उचित समाधान हों गया होगा और इस कार्यक्रम से प्राप्त मूल्यवान जानकारियां उनके बेहतर भविष्य को गढ़ने में उपयोगी साबित होंगी।
संस्था के प्राचार्य डॉ. जेके खलको ने कार्यक्रम के मुख्य संयोजक डॉ. राघवेश पांडे और उनकी पूरी टीम को इस सफल आयोजन की बधाई देते हुए, कार्यक्रम को अभूतपूर्व और ऐतिहासिक बताया और कार्यक्रम से जुड़े सभी प्रतिभागियों के उज्जवल भविष्य की मंगलकामना की।
डॉ. सीडी मानिकपुरी ने प्रतिभागियों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि, हम आशा करते हैं कि, लगातार एक सप्ताह तक चले इस व्याख्यान माला का लाभ निश्चित तौर पर सभी प्रतिभागियों को मिला होगा, और बेहतर मार्गदर्शन की तलाश कर रहे शोधार्थियों के लिए यह कार्यशाला बेहद उपयोगी सिद्ध होंगी।
विधि विभाग की सहायक प्राध्यापिका श्रीमति स्वाति वैष्णव ने कहा किए कार्यशाला से मिला ज्ञान शोध का नवसोपान साबित होंगी और यह शोधार्थियों के ज्ञान को एक नई ऊंचाईयाँ देगी। इस अवसर पर देशभर से जुड़े प्रतिभागियों ने उक्त कार्यक्रम की मुक्त कंठ से की सराहना करते हुए इसकी भूरी-भूरी प्रशंसा की और सभी ने कहा कि, ऐसी कार्यशाला का आयोजन समय-समय पर होना चाहिए ताकि, संबंधित व्यक्तियों को इसका परोक्ष लाभ मिलता रहे।
अतिथि प्राध्यापक पूनम चंद्र गुप्ता एवं सुब्रत मंडल की कार्यक्रम में विशेष भूमिका रही। कार्यक्रम का सफल संचालन सुश्री पूजा ठाकुर ने प्रभावी ढंग से किया।
समापन समारोह के इस कार्यक्रम में कार्यक्रम के मुख्य संयोजक डॉ. राघवेश पांडे ने कार्यशाला के सभी मुख्य वक्ताओं का, प्राचार्य, महाविद्यालय के अन्य विभागों के प्राध्यापकों, अपने विभाग के सभी प्राध्यापकों एसभी प्रतिभागियों का और मिडिया बंधुओं को कार्यक्रम की सफलता का श्रेय देते हुए, सभी के सहयोग के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया है।