दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय सेना में जज एडवोकेट जनरल ब्रांच (जेएजी) शाखा में पात्रता योग्यता के रूप में सीएलएटी-पीजी 2023 स्कोर (क्लैट पीजी ) को अनिवार्य करने के विज्ञापन के खिलाफ एक जनहित याचिका खारिज कर दी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, शैक्षिक योग्यता तय करना अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं है। कोर्ट क्लैट पीजी स्कोर की जरूरत में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। अदालत ने कहा, यह मुद्दा जनहित याचिका के रूप में नहीं स्वीकार की जा सकती। हालांकि, पीड़ित व्यक्ति किसी भी शिकायत के मामले में अदालत जाने के लिए स्वतंत्र है।
अदालत ने कहा, क्लैट पीजी स्कोर को आवश्यक पात्रता मानदंड बना है। यह सेना का मामला है। जनहित का मतलब इसके लिए नहीं है। यह जनहित याचिका के लिए उपयुक्त केस नहीं है। याचिकाकर्ता शुभम चोपड़ा ने याचिका में तर्क दिया कि जेएजी एंट्री स्कीम 33वें पाठ्यक्रम के माध्यम से जेएजी कैडर के तहत सेना के अफसरों को शामिल करने की विज्ञापित अधिसूचना मनमाना, अनुचित, असंवैधानिक और भारत के संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है।
याचिका में कहा गया है कि क्लैट पीजी 2023 को एक आवश्यक आदेश के रूप में लाना उन उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन है, जिन्होंने एलएलएम प्रवेश के लिए खुद को पंजीकृत नहीं किया था और अब कानून में वैध स्नातक डिग्री रखने के बावजूद अयोग्य हैं।
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