नूंह दंगे का सबक यह है कि समय रहते हुए नफ़रत के सौदागरों का सफाया जरूरी है

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इक्कीसवीं सदी के आधुनिक युग में दुनिया में बहुत सारे देशों में जिस तरह से आज भी जाति, धर्म, मजहब, भाषा, क्षेत्रवाद, अमीरी-गरीबी की आर्थिक असमानता आदि के नाम पर दंगे, फसाद व उन्माद अपने चरम पर है, वह पूरी दुनिया में मानवता के लिए लिए बेहद घातक है।

देश में दंगा फसाद होने का बहुत पुराना इतिहास रहा है, लेकिन अब इक्कीसवीं सदी के आधुनिक भारत में नियम कायदे कानून पसंद लोग किसी भी हाल में देश में दंगा फसाद का माहौल देखना नहीं चाहते हैं। लेकिन फिर भी कुछ देशद्रोही लोग देश के विभिन्न भागों में लोगों को भड़का कर दंगा फसाद करवाने से बाज नहीं आते हैं। उसी कड़ी में 31 जुलाई 2023 को जिस वक्त विश्व हिन्दू परिषद के द्वारा हरियाणा के नूंह में ब्रज मंडल यात्रा निकाली जा रही थी, उस वक्त यात्रा में शामिल लोगों पर मजहबी उन्माद में अंधे हो चुके लोगों की भारी भीड़ ने घेरकर के पथराव, आगजनी व गोली चलाने का कार्य करके राज्य के कुछ शहरों में जबरदस्त दंगा फसाद करवाने का कार्य कर दिया था। इन दंगाईयों की भीड़ ने दुस्साहस करते हुए नूंह के प्रसिद्ध नलहरेश्वर मंदिर के आसपास की पहाड़ियों पर से मंदिर में एकत्र श्रद्धालुओं की भारी भीड़ पर फायरिंग करने का कार्य करके हरियाणा के शासन-प्रशासन को खुली चुनौती देने का कार्य किया था। अब इस फायरिंग की घटना की भयावहता बयां करने वाला वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें स्पष्ट नज़र आ रहा है कि सोमवार का दिन होने के चलते मंदिर में जलाभिषेक करने वाले भक्तों की भारी भीड़ भगवान शिव पर जल चढ़ाने के लिए उमड़ी हुई थी, तब ही दंगाईयों के द्वारा की गयी अचानक फायरिंग से मंदिर परिसर में जबरदस्त कोहराम मच गया था। जिसके बाद धर्मांध भीड़ ने लोगों की जान लेने से लेकर कर के मारपीट, लूटपाट, आगजनी, तोड़फोड़ आदि झकझोर देने वाले शर्मनाक कृत्यों को अंजाम दिया था। जिसके बाद से ही हरियाणा में नूंह, गुरुग्राम, पलवल आदि उन्मादी भीड़ के द्वारा की गयी हिंसा की आग ने काफी परेशान किया। लोग बार-बार कह रहे हैं कि यह हिंसा एक बहुत ही बड़ी सुनियोजित साजिश है। वैसे भी आज विचारणीय तथ्य यह है कि विकास के पथ पर बहुत तेजी से अग्रसरित भारत के विकास की रफ्तार को रोकने की ऐसी साजिशें आखिरकार बार-बार कौन लोग रोकने का कार्य कर रहे हैं, आज समय की मांग है कि देश व समाज के हित में ऐसे नफ़रती लोगों का जल्द से जल्द पर्दाफाश होकर सिस्टम उनको सख्त से सख्त सजा दिलवाने का कार्य करें, तभी भविष्य में देश व नियम कायदे कानून पसंद सभी देशवासी सुरक्षित रह पाएंगे।

वैसे देखा जाए तो इक्कीसवीं सदी के आधुनिक युग में दुनिया में बहुत सारे देशों में जिस तरह से आज भी जाति, धर्म, मजहब, भाषा, क्षेत्रवाद, अमीरी-गरीबी की आर्थिक असमानता आदि के नाम पर दंगे, फसाद व उन्माद अपने चरम पर है, वह पूरी दुनिया में मानवता के लिए लिए बेहद घातक है। आज विचारणीय यह है कि आतंकवाद व दंगा-फसाद में भी जाति धर्म व मजहब ढूंढ़ने वाले लोगों के चलते ही दुनिया में नफ़रत के सौदागर आये दिन कहीं ना कहीं बड़े पैमाने पर इंसान व इंसानियत की हत्या करके निर्दोष लोगों का रक्तपात करवाने का कार्य बेखौफ होकर अंजाम दे रहे है, जोकि सभ्य समाज में बिल्कुल भी उचित नहीं है। आज नफ़रत के सौदागरों के षड्यंत्रों के चलते ही दुनिया के बहुत सारे देशों की धरती वहां के आम निर्दोष नागरिकों के रक्त से आये दिन लहूलुहान होकर लाल हो रही है, इन देशों में तड़प-तड़प कर इंसान व इंसानियत आये दिन सड़कों पर दंगें फसाद में यूं ही दम तोड़ने का कार्य कर रही है, जो स्थिति सभ्य समाज की परिकल्पना को पूरी करने के लिए बेहद चिंताजनक है।

आज आलम यह हो गया है कि दुनिया के गरीब देशों को छोड़ दिया जाये तो अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस आदि जैसे देश भी दंगों की चपेट में आ जाते हैं, लेकिन बेहद अफसोस की बात यह है कि अपने क्षणिक स्वार्थों के चलते इस तनावपूर्ण माहौल के बावजूद भी दुनिया के ताकतवर देश अब भी तमाशबीन बनकर चुपचाप बहुत सारे देशों की बर्बादी का तमाशा देखने में व्यस्त हैं। कोई भी देश आज इन देशों में मजहब के नाम पर हो रही उन्माद की इस जंग में उन देश की मदद करने के लिए तैयार तक नहीं है, जो देश लंबे समय से आतंकवाद व मजहबी उन्माद को झेलने कार्य कर रहे हैं। बल्कि देखा जाये तो आलम यह है कि यह ताकतवर देश अपने क्षणिक स्वार्थों की पूर्ति के चलते खुलेआम सत्य कहने तक के लिए तैयार नहीं हैं।

आज भारत के सिस्टम के सामने भी जाति, धर्म व मजहब के नाम पर उन्माद की यह बेहद नकारात्मक स्थिति एक सोची-समझी साजिश के तहत देशद्रोही लोगों के गैंग के द्वारा बार-बार उत्पन्न की जाने लगी है। देश में जाति, धर्म व मजहब के नाम पर नफ़रत फ़ैलाने वाले लोगों के द्वारा तरह-तरह के षड्यंत्रों के माध्यम से आये दिन माहौल ख़राब करने की साज़िश रची जाने लगी है। इन षड्यंत्रों के चलते आज देश के कुछ भूभागों में धार्मिक उन्माद व साम्प्रदायिक घृणा अपना सिर आये दिन उठाने लग गयी है। देश में जाति, धर्म व मज़हब के नाम पर नफ़रत की तिजारत करके अपनी दुकान चलाने वाले चंद इंसानियत के दुश्मन देशद्रोही व राक्षसी प्रवृत्ति के लोग आसानी से अपने नापाक मंसूबों में सफल होने लगे हैं। आज इन जहरीले लोगों ने कुछ लोगों के बीच में अपनी नफ़रती जड़ों को जमाने का कार्य बखूबी कर लिया है, जिसका पूरी तरह से सफाया करना सिस्टम के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती बन गयी है। देश में जिस तरह नफ़रत के यह चंद सौदागर आपसी प्यार, मोहब्बत, भाईचारे व विश्वास को कमजोर करते हुए इंसान व इंसानियत का कत्लेआम करने में सफल रहे हैं, वह स्थिति देश व समाज हित के लिए बेहद घातक है और इससे अब हमारे प्यारे देश में भी बार-बार इंसानियत शर्मसार होने लगी है। इसलिए देश व समाज के हित में इस नफ़रत से परिपूर्ण स्थिति पर तत्काल बेहद सख्ती के साथ लगाम लगाना समय की मांग है, दंगा फसाद में हुए जान-माल के नुक़सान की दंगाइयों से भरपाई करना समय की मांग है, तब ही भविष्य में दंगा फसाद पर अंकुश लगकर देश की एकता और अखंडता बरकरार रह सकती है।