इंफाल....मेरे पति को मार दिया। बेटे को मार दिया। बेटी के कपड़े उतारकर घुमाया, उसे पीटा और गैंगरेप किया। एक दिन में मेरा सब कुछ खत्म हो गया। आज तक न तो CM, न ही किसी मंत्री का फोन आया। वीडियो वायरल होने के बाद भी नहीं आया।’ ये कहते हुए पीड़िता की मां जोर-जोर से रोने लगती हैं। करीब आधे घंटे तक लगातार रोती जाती हैं।
ये उस लड़की की मां है, जिसे आपने 19 जुलाई को मणिपुर से वायरल हुए वीडियो में देखा था। 4 मई को इस लड़की समेत 3 औरतों को मैतेई भीड़ ने निर्वस्त्र कर परेड कराई। लड़की के साथ गैंगरेप भी हुआ।
21 साल की पीड़िता इतने गहरे सदमे में है कि फिलहाल कुकी लीडर्स ने उसे किसी अनजान जगह भेज दिया है। मां अब भी चुराचांदपुर में है। वो दिन भर रोती हैं। कहती हैं- ‘इतनी हिम्मत भी नहीं कि बेटी से मिल सकूं।’
मणिपुर में हिंसा 3 मई को शुरू हुई। कुकी-मैतेई के बीच दंगे हुए और इंफाल वैली और कुकी इलाकों के बीच बॉर्डर बन गया। दोनों तरफ बंकर बन गए और आम लोग बंदूकें लेकर तैनात हैं। 19 जुलाई को वीडियो वायरल होने के बाद इस तरह की हिंसा के कई मामले सामने आए हैं। दैनिक भास्कर मणिपुर पहुंचा और इस तरह की घटनाओं की पीड़ितों और उनके परिवारों से बात की। कुछ मिले और कुछ सिर्फ अब कहानी हैं…
कहानी: 1
4 मई 2023, जगह: थोउबाल
पीड़िता की मां बिना कुछ बोले रोते जाती हैं, पूछती हैं- मेरी बेटी का क्या गुनाह था
मणिपुर
का दूसरा सबसे बड़ा टाउन चुराचांदपुर। ये शहर अब कुकी लोगों की राजधानी की
तरह है। संकरी गलियों से होते हुए हम एक झोपड़ीनुमा घर पहुंचे। मणिपुर के
पहाड़ी इलाकों में घर शंकुधारी यानी वीशेप के होते हैं। लोहे के दरवाजे से
होते हुए आंगन पार कर हम एक कमरे में दाखिल हुए। 4-5 महिलाएं बैठी थीं, एक
लड़का भी था।
एक महिला ने बताया कि सामने बैठी महिला उसी 21 साल की लड़की की मां है, जो वायरल वीडियो केस में रेप सर्वाइवर है। हमें देखते ही 42 साल की महिला फूट-फूट कर रोने लगीं। बिना रुके रोती रहीं। पास बैठी औरतें पहले कुछ देर चुप रहीं, फिर उन्हें रोता देख वे भी रोने लगीं। पास बैठा लड़का भी रोने लगा।
ये मां अब बिना रोए एक बात भी ठीक से नहीं बोल पाती। अब उसके पास सिर्फ 18 साल का एक बेटा और रेप सर्वाइवर बेटी बची है।
करीब आधे घंटे बाद रोना बंद होता है, हम इंतजार करते रहते हैं। हाथ में ली एक पॉलिथीन तोड़ते-मरोड़ते हुए वो बोलना शुरू करती हैं- ‘4 मई के बाद से मैं बेटी से बात करने की हिम्मत भी नहीं कर पाती। मैं उससे मिल भी नहीं पाई हूं।’
‘दो मिनट के लिए भी अकेले बैठती हूं, तो रोना आ जाता है। लोग आते हैं, बार-बार इसी बारे में बात करते हैं, मैं डिप्रेशन में हूं। किसी से बात करने, किसी का चेहरा देखने का मन नहीं कर रहा है।’ वे चुप हो जाती हैं, फिर रोने लगती हैं।
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