तार फैंसिंग का कार्य बना ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका का आधार

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06 लाख 74 हजार 504 रुपए की तार फैंसिंग बिक्री से
 01 लाख 33 हजार 706 रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित
प्रति सदस्य को मिला 16 हजार 713 रुपए का शुद्ध लाभ

बालोद,

 छत्तीसगढ़ शासन की विशेष प्राथमिकता वाले नरूवा, गरूवा, घुरूवा एवं बाड़ी योजना के अंतर्गत निर्मित गौठान आज ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने एवं विभिन्न रोजगारमूलक गतिविधियों के संचालन हेतु महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में स्थापित हो रहा है। इसके परिणाम स्वरूप जिले के गुरूर विकासखंड के चिटौद गौठान में शुरू की गई तार फैंसिंग का कार्य आमदनी का स्थायी स्त्रोत बनकर आज उनकी आजीविका का आधार बन गया है।
      उल्लेखनीय है कि चिटौद गौठान में माँ वैष्णवी स्वसहायता समूह की 08 महिलाएं तार फैसिंग बनाने का कार्य कर रही हैं। तार फैंसिंग निर्माण के कार्य तथा इसकी बिक्री से नियमित रूप से आमदनी प्राप्त होने के कारण महिलाएं आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर एवं सशक्त हो रही हैं। माँ वैष्णवी स्वसहायता समूह की महिलाओं को अब तक 06 लाख 74 हजार 504 रुपए की तार फैंसिंग बिक्री से 01 लाख 33 हजार 706 रुपए का शुद्ध आमदनी प्राप्त हुई है। इस तरह से समूह के प्रत्येक सदस्यों ने 16 हजार 713 रूपये का शुद्ध लाभ अर्जित की है। इस तार फैंसिंग के कार्य से होने वाले लाभ की जानकारी देते हुए मां वैष्णवी स्वसहायता समूह की अध्यक्ष श्रीमती रेश्मा साहू बताया कि गौठान में शुरू की गई तार फैंसिंग के निर्माण का कार्य हम ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करने की दिशा में बहुत ही मददगार साबित हुआ है। इसके माध्यम से अब हमें गांव में ही रोजगार प्राप्त हो रहा है जिसके कारण हमें रोजी-रोटी की तलाश में बाहर जाने की आवश्यकता नहीं पड़ रही है। उन्होंने बताया कि समूह की सभी सदस्य कोड़ेवा गांव से तार फैसिंग बनाने का प्रशिक्षण लेने के बाद गौठान में तार फैसिंग का कार्य शुरू किया है। गौठान में बनने वाले तार फैंसिंग का गुरुर विकासखंड के अन्य गौठानों में भी बिक्री की गई हैै। साथ ही आस-पास के किसानों को भी तार फैंसिंग की बिक्री समूह द्वारा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि अपने ही गांव में काम मिलने से महिलाओं में आत्म विश्वास बढ़ा है, साथ ही गौठानों में चल रही गतिविधियों के प्रति रूचि भी बढ़ी है।