आजीविका मूलक गतिविधियों से महिलाएं बन रही हैं आत्मनिर्भर

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केंचुआ एवं मशरूम उत्पादन बना अतिरिक्त आय का जरिया

बेमेतरा, छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना नाम के अनुरूप ही पशुपालकों, महिलाओं, किसानों के लिए लाभदायक साबित हुआ है। गोठान से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं अब घरेलू कार्य के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों में भी तेजी से अपनी सहभागिता बढ़ा रही हैं। गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गोठानों में संचालित आय मूलक गतिविधियों से जुड़कर ग्रामीण महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं और अब वे अपने परिवार की जिम्मेदारी तथा उनका भरण-पोषण कर अपने जीवन स्तर बढ़ाने में सक्षम हो रही और स्वालम्बन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।
यह सफलता की कहानी एक स्वावलंबी बुढ़ादेव महिला स्व सहायता समूह दाढ़ी की महिलाओं की है। जो गौठान में जुड़ने से पहले खेती किसानी एवं मजदूरी किया करते थे। समूह की महिला परसुति बाई ने बताया कि वे फ्लैगशिप गोधन न्याय योजनांतर्गत गोठान से जुड़े और हमारे समूह की महिलाओं द्वारा वर्मी खाद का उत्पादन किया जा रहा है। उन्होने बताया कि कृषि विभाग के आत्मा योजनांतर्गत हमारे समूह को निःशुल्क केंचुआ प्रदाय किया गया एवं केंचुआ खाद उत्पादन हेतु प्रशिक्षण भी दिया गया। समय-समय पर कृषि अधिकारियों के द्वारा मार्गदर्शन प्राप्त कर सफलतापूर्वक वर्मी खाद का उत्पादन हमारे समूह द्वारा किया जा रहा है।
परसुती बाई ने यह भी बताया कि केंचुआ खाद के साथ केंचुआ का भी उत्पादन कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे है। अब तक 1389.50 क्विंटल केंचुआ खाद का उत्पादन किया गया, जिसका विक्रय करके गौठान समूह को 460247.20 रू. का आय प्राप्त हुआ, व इसके साथ मशरूम उत्पादन भी किया गया, जिससे अतिरिक्त आय 15000 रुपये तक प्राप्त हुआ। इन सभी गतिविधियों से मेरी व समूह के अन्य महिलाओं के जीवन में काफी आर्थिक सुधार हुआ है तथा सभी समूह के महिलाओं द्वारा प्राप्त आय से श्रीमद् भागवत का पाठ करवाया गया है।