बाल्मीकि रामायण पर डी लिट की मानद उपाधि मिलने पर राजश्री महंत डॉ राम सुंदर दास का सम्मान

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 छत्तीसगढिय़ा पहचान हैं डॉ राम सुंदर दास-विकास

रायपुर। महंत लक्ष्मीनारायण दास महाविद्यालय में पंडित रवि शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित राजश्री महंत डॉ राम सुंदर दास अध्यक्ष राज्य गौ सेवा आयोग का सम्मान स्मरण पत्र स्मृति चिन्ह भेंट कर किया गया इस अवसर पर विशेष रुप से उपस्थित विषय विशेषज्ञों ने बातें रखकर राजे श्री महंत रामसुंदर दास को विशाल और सहज सरल और मिलनसार व्यक्तित्व का धनी बताया वही आयोजन में मुख्य अतिथि संसदीय सचिव व विधायक विकास उपाध्याय ने कहा कि वे छत्तीसगढ़ की एक ऐसी पहचान है जिसे हर छत्तीसगढिय़ा नागरिक जानता और पहचानता है शिक्षक जनसेवक धर्म के ज्ञाता और कई रूपों में डॉ राम सुंदर दास की एक विशेषता रही है उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ विधानसभा में विधायक के तौर पर कार्य शैली को नजदीक से देखने मिला।
वहीं आयोजन में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय द्वारा बाल्मीकि रामायण पर डी लिट की मानद उपाधि से सम्मानित होने वाले डॉक्टर राम सुंदर दास ने उपाधि के विषय में बातें रखते हुए कहा कि इस उपाधि को प्राप्त करने में 4 वर्ष का समय लगा काफी कठिनाई और 108 से अधिक रामायण की ग्रंथों का विश्लेषण करने के बाद यह उपाधि प्रदान की गई है डॉक्टर महंत ने बताया कि डी लिट की उपाधि में शोध अध्ययन के निदेशक डॉक्टर वैष्णव रहे हैं जिनके मार्गदर्शन में शोध अध्ययन को पूरा किया है इस अध्ययन के दौरान 10 से अधिक संस्कृत में शोध पत्रों का प्रकाशन के साथ 3 भौतिक ग्रंथों का भी प्रकाशन किया और उनकी अनुमति के बाद ही यह उपाधि प्रदान की गई एक अवसर ऐसा भी था जब अध्ययन के लिए पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पा रही थी परंतु किसी कार्य का निश्चय कर लिया था तो उद्देश्य तक पहुंचाना जरूरी होता है कई बार यह प्रश्न पूछा गया कि शोध अध्ययन का क्या उपयोग होगा जवाब में सभी विश्लेषकों को यह बताना चाहता हूं कि इस अध्ययन में यह बताया गया है कि त्रेता युग में ऋषि मुनि किस तरह का जीवन जिया करते थे राजा महाराजाओं का तौर तरीका क्या होता था और किस तरह से समाधान निकाले जाते थे इस अध्ययन से भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म को एक ऊंचाई तक ले जाया जा सकेगा जो शोध अध्ययन का मूल विषय रहा है