Rupee Vs Dollar: रुपया रिकॉर्ड निचले स्तर पर, यूरो गिर कर अमेरिकी डॉलर के बराबर, जानें क्या है इस उथल-पुथल की वजह

Views

 


नई दिल्ली। अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट (Indian Rupee Price Fall) ने एक बार फिर से नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मंगलवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 79.57 के नए ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया। डॉलर इंडेक्स अक्टूबर 2002 के बाद से अपने उच्चतम स्तर 108.3 तक पहुंच गया है। वहीं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले यूरो 20 साल के सबसे निचले स्तर के करीब पहुंच गया है। इन दोनों की कीमतें लगभग बराबर हो गई हैं। यूरो में गिरावट का यह दौर संभावित ऊर्जा संकट के चलते शुरू हुआ है और माना जा रहा है कि यह यूरोप को मंदी की ओर धकेल सकता है।

जानकारों का कहना है कि व्यापार घाटा बढ़ने, विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट और विश्व बाजार में ऊर्जा की कीमतों से भी रुपये में गिरावट आ रही है। अभी रुपये में अस्थिरता का यह दौर जारी रहेगा और हो सकता कि एक अमेरिकी डॉलर 80 रुपये के करीब आ जाए। आने वाले दिनों की बात करें तो मुद्रा व्यापारी इस सप्ताह अमेरिकी मुद्रास्फीति के आंकड़ों और फेडरल रिजर्व की आगामी पॉलिसी मीटिंग पर अपनी नजर बनाए हुए हैं। बढ़ती मुद्रास्फीति फेडरल रिजर्व पर अतिरिक्त दवाब डालेगी, जो ब्याज दरों में वृद्धि के बाद पहले ही कई दुविधाओं से जूझ रहा है।

व्यापार घाटे ने बढ़ाई चिंता

बढ़ते व्यापार घाटे ने रुपये पर दबाव डाला है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, भारत का व्यापार घाटा जून में बढ़कर 25.63 अरब डॉलर हो गया। जबकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अधिक आयात के कारण व्यापार घाटा बढ़कर 70.25 अरब डॉलर हो गया है। हालांकि रुपये के गिरने के पीछे तेल की की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। सोमवार को ब्रेंट क्रूड गिरकर 106.04 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया।

क्या आरबीआइ के फैसले से मिलेगी राहत

रुपये की घटती कीमतों और डॉलर की जबरदस्त मांग को देखते हुए आरबीआइ ने सोमवार को भारतीय रुपये में निर्यात और आयात की अनुमति दे दी। आरबीआइ ने इसके लिए बैंकों से अतिरिक्त व्यवस्था करने को कहा। जानकार मानते हैं कि यह एक अच्छा कदम है। इससे अरुपये को वैश्विक स्तर पर अधिक व्यापार योग्य बनाया जा सकेगा। इससे रुपये की स्वीकार्यता बढ़ेगी और यह लंबी अवधि में डॉलर की मांग को भी कमजोर करेगा।