नई दिल्ली। पिछले एक माह से काटन और यार्न के दाम में लगातार गिरावट के रुख से गारमेंट (कपड़े) की कीमतों में राहत मिलने की उम्मीद है। गारमेंट की कीमतों में राहत मिलने पर घरेलू गारमेंट निर्माता त्योहारी सीजन में पिछले साल के त्योहारी सीजन के मुकाबले 25-30 प्रतिशत अधिक कारोबार होने की संभावना जाहिर कर रहे हैं। पिछले एक-डेढ़ माह में काटन के दाम अपने उच्चतम स्तर से 30 प्रतिशत तक लुढ़क गए हैं। वहीं यार्न की कीमतें भी अपने उच्चतम स्तर से 20 प्रतिशत नीचे आ चुकी हैं।
कन्फेडरेशन आफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज के पूर्व प्रेसिडेंट संजय जैन ने कहा कि निश्चित रूप से कच्चे माल की कीमतों में गिरावट से राहत मिलेगी, त्योहारी सीजन में कारोबार बढ़ेगा। कच्चे माल में किसी भी गिरावट या बढ़ोतरी का असर अंतिम उत्पाद तक पहुंचने में कम से कम दो माह का वक्त लगता है।
काटन और यार्न के दाम में गिरावट से अब रेडीमेड गारमेंट की कीमतें नहीं बढ़ेंगी और माना जा रहा है कि सितंबर तक बाजार में आने वाला गारमेंट थोड़ा सस्ता होगा। त्योहारी सीजन में गारमेंट की मांग में बढ़ोतरी की उम्मीद देख गारमेंट निर्माता उत्पादन में जुट गए हैं। सितंबर से त्योहारी सीजन का मौसम शुरू हो जाएगा। मार्च-अप्रैल तक काटन और यार्न के दाम में लगातार बढ़ोतरी होने से मई-जून में गारमेंट के दाम में भी थोड़ी-थोड़ी बढ़ोतरी शुरू हो गई थी, लेकिन अब यह बढ़ोतरी थम जाएगी। गारमेंट निर्माता एवं रिचलुक ब्रांड के निदेशक शिव गोयल ने बताया कि कीमतें बढ़ने पर गारमेंट की मांग अवश्य प्रभावित होती, लेकिन अब उन्हें त्योहार में अच्छे कारोबार की उम्मीद है।
Yarn की कीमत घटने से निर्यात को भी मिलेगा समर्थन
गारमेंट निर्यातकों ने बताया कि वैश्विक स्तर पर काटन और यार्न के दाम कम होने से उन्हें पहले के मुकाबले कम दाम पर कच्चा माल मिल रहा है और उनकी लागत कम हो रही है। इससे उत्पाद की प्रतिस्पर्धा क्षमता और बढ़ जाएगी। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि गारमेंट का निर्माण और निर्यात बढ़ने से रोजगार में भी अधिक बढ़ोतरी होगी। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महंगाई अधिक होने से गारमेंट का निर्यात आर्डर प्रभावित होने की भी आशंका जाहिर की जा रही है। भारत के प्रमुख गारमेंट खरीदार अमेरिका और यूरोप दोनों ही जगहों पर महंगाई अपने चरम पर है।
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