० माहवारी स्वच्छता प्रबंधन को लेकर हुई कार्यशाला
० किशोरी, बालिकाओं व महिलाओं को बांटे सेनेटरी पैड
दुर्ग (lokkiran)।
महिला स्वास्थ्य सुरक्षा से संबंधित जागरुकता के लिए जिले के हनोदा ग्राम
पंचायत भवन में माहवारी स्वछता प्रबंधन दिवस की शुरुआत की गई है। इस अवसर
पर आयोजित कार्यशाला में महिलाओं को माहवारी स्वछता के विषय में व्यापक
जानकारी दी गई। किशोरी, बालिकाओं तथा महिलाओं के साथ लिंग भेद से होने वाले
सामाजिक दुष्परिणाम एवं माहवारी स्वच्छता प्रबंधन और लैंगिक समानता पर
चर्चा की गई तथा सेनेटरी पैड का वितरण किया गया।
महिलाओं को
मेंस्ट्रुएशन यानी माहवारी के दौरान स्वच्छता बरतने को लेकर जागरूक करने के
उद्देश्य से हर साल दुनियाभर में 28 मई को माहवारी स्वच्छता दिवस
(मेंस्ट्रुएशन हाईजीन डे) मनाया जाता है। इसको मनाने के पीछे का उद्देश्य
लड़कियों या महिलाओं को पीरियड्स यानी महीने के उन पांच दिनों में स्वच्छता
और सुरक्षा के लिए जागरूक करना तथा समुदाय में माहवारी स्वच्छता को बढ़ावा
देना है। आमतौर पर महिलाओं को माहवारी 28 दिनों के भीतर आती है और इसका
पीरियड पांच दिनों का होता है। इसी कारण इस खास दिवस को मनाने के लिए
पांचवें महीने मई की 28 तारीख को चुना गया है।
माहवारी, पीरियड या
मासिक धर्म के विषय में सामाजिक बदलाव लाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में
लगातार जागरुकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में जिले के हनोदा
ग्राम पंचायत भवन में किशोरी बालिकाओं तथा महिलाओं की उपस्थिति में आयोजित
कार्यक्रम में डॉ. मोनिका अग्रवाल और डॉ. रीति चंद्राकर ने माहवारी स्वछता
के विषय में व्यापक जानकारी दी। इस मौके पर डॉण्मोनिका अग्रवाल ने कहाः
मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता के लिए सेनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल करना
चाहिए। इसे खरीदने में झिझक नहीं होनी चाहिए। इसके प्रति पुरुषों को भी
संवेदनशील होने की जरूरत है। माहवारी किसी प्रकार की कोई छुआछूत या परिवार
से अलग रहने के लिए नहीं होता है। आज भी बहुत-सी किशोरियां मासिक धर्म के
कारण स्कूल नहीं जाती हैं। महिलाओं को आज भी इस मुद्दे पर बात करने में
झिझक होती है। आधे से ज्यादा लोगों को लगता है कि मासिक धर्म अपराध है,
जबकि यह केवल भ्रांति है। ऐसे में अभी भी लोगों को जागरुक करने की आवश्यकता
है।
डॉ. प्रीति चंद्राकर ने कहाः माहवारी लड़कियों या महिलाओं के शरीर
में होने वाली एक सामान्य हार्मोनल प्रक्रिया है। इसके फलस्वरूप शरीर में
महत्वपूर्ण परिवर्तन होते हैं। यह प्राकृतिक प्रक्रिया सभी लड़कियों में
किशोरावस्था के अंतिम चरण से शुरू होकर (रजस्वला) उनके संपूर्ण प्रजनन काल
(रजोनिवृत्ति पूर्व) तक जारी रहती है। माहवारी के दौरान शारीरिक स्वच्छता
का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि संक्रमण से बचा जा सके।
वहीं यूनिसेफ की
दुर्ग जिला समन्वयक निशा सोनी ने कहाः महामारी के दौरान संसाधनों की
आपूर्ति के माध्यम से माहवारी स्वच्छता प्रबंधन के प्रति जागरूकता को बढ़ावा
देने में यूनिसेफ प्रमुख विभागों का लगातार सहयोग कर रहा है। माहवारी तथा
स्वच्छता प्रथाओं के बारे में आमतौर पर समुदायों में जानकारी तो है लेकिन
इसके बावजूद प्रजनन आयु के दौरान लड़कियों एवं महिलाओं में होने वाली जैविक
प्रक्रिया और जीवन के इस वास्तविक तथ्य के प्रति चुप्पी की संस्कृति भी
बरकरार है। यह ज्यादातर संदर्भों में अभी भी कलंक और शर्म का विषय बना हुआ
है, जो कि लैंगिक समानता को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ी बाधा है।
माहवारी स्वच्छता आवश्यक है और इसी उद्देश्य के साथ महिलाओं को माहवारी
स्वच्छता प्रबंधन के लिए सेनेटरी पैड का वितरण किया गया है।
इस
कार्यक्रम में हनोदा सरपंच तेजराम चंदेल, उपसरपंच, पंचायत सचिव, आंगनवाड़ी
कार्यकर्ता, मितानिन, सुपरवाइजर व स्टारलाइट फाउंडेशन के प्रतीक ठाकरे समेत
अन्य लोग उपस्थित हुए।
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