इस पर्वत को माना जाता है भगवान का रूप, हर दिन हो रहा छोटा, जरूर करें एक बार यात्रा !

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भारत देश आस्था का केंद्र हैं। यहां धरती को माँ मानकर उसको पूजा जाता है। देश के इस पावन धरा पर एक पर्वत ऐसा भी है जिसे भगवान का रूप माना जाता है। ये पर्वत है गोवर्धन पर्वत। इस पर्वत को गिरिराजजी भी कहा जाता है। यह पर्वत राधा कृष्ण की लीलाओं का साक्षात प्रमाण है। मथुरा जिले से करीब 22 किलोमीटर दूर स्थित गोवर्धन पर्वत को देवतुल्य माना जाता है। इस पर्वत का उल्लेख धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है।

भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र का घमंड तोड़ने के लिए इसी पर्वत को अपनी सबसे छोटी उंगली पर तीन दिनों तक उठा कर रखा था। कृष्ण ने ऐसा करके सभी वृंदावन वासियों की रक्षा इंद्र के कोप से की थी। हर साल भक्तों से घिरा रहने वाला गोवर्धन पर्वत पिछले 1 साल से कोरोना महामारी की वजह से सन्नाटे का सामना कर रहा है। इस पर्वत का परिक्रमा मार्ग साल के बारह महीने भक्ति की चकाचौंध से हमेशा गुलजार रहता था।

हर दिन मुट्ठीभर छोटा हो रहा गोवर्धन पर्वत
एक पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार ऋषि पुलस्त्य इस पर्वत की खूबसूरती से बेहद प्रभावित हुए। वे इसे उठाकर अपने साथ ले जाना चाहते थे। तभी गोवर्धन ने कहा कि यदि आप मुझे अपने साथ ले जाना चाहते हैं तो ले जाइए, लेकिन आप मुझे जिस स्थान पर पहली बार रखेंगे, मैं वहीं स्थापित हो जाउंगा। ऋषि पुलस्त्य पर्वत को अपने साथ लेकर चल दिए। रास्ते में उनकी साधना का समय हुआ तो उन्होंने पर्वत को नीचे रख दिया। नीचे रखते ही वह स्थापित हो गया। फिर ऋषि उसे हिला भी नहीं सके। इससे में क्रोध में आ गए और उन्होंने पर्वत को हर दिन घटने का श्राप दे दिया। तब से ये पर्वत हर दिन मुट्ठीभर छोटा हो रहा है।

दर्शन करने और घूमने के उत्तम स्थान:-
यहां दर्शन करने के लिए बहुत सी जगहें हैं जो भगवान श्री कृष्ण का यशगान करते हैं। पर्वतराज की नगरी के तीन प्रमुख मंदिर दानघाटी, मुकुट मुखारविंद और जतीपुरा मुखारविंद हैं। इन स्थानों पर अद्वितीय सौंदर्य देखने को मिलेगा। इस पर्वत की तलहटी में बेस आन्योर में बने लुकलुक दाऊजी मंदिर पर रहस्यमयी दिव्य चिन्ह बने हैं, जो कि राधाकृष्ण के होने का अहसास कराते हैं। इस पर्वत पर एक कुंड भी हैं। इस कुंड का नाम राधाकुंड है इसमें भक्त संतान प्राप्ति के लिए स्नान करते हैं।