श्रद्धा, उत्साह और आस्था के साथ बस्तर दशहरा में शामिल होने छत्रडोलियों को दी गयी विदाई

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 Report by Biraj nag

कोण्डागांव बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए जिलेभर से आए ग्राम देवी-देवताओं की गुरूवार को मुख्यालय के शीतला माता मंदिर परिसर में श्रद्धा और उत्साह के साथ विदाई दी गई। इस मौके पर हस्तशिल्प कला बोर्ड के अध्यक्ष एवं विधायक नारायणपुर चंदन कश्यप, जिला पंचायत अध्यक्ष देवचंद मातलाम, कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा एवं एसपी सिद्धार्थ तिवारी भी कार्यक्रम में शामिल हुए। विश्व विख्यात बस्तर दशहरे में कोण्डागांव जिले के प्रमुख देवी-देवताओं, मांझी, मुखिया, गायता, पुजारी एवं परगना प्रमुखों की सहभागिता सदियों की परम्परा रही है। चूंकि पूरे बस्तर संभाग में कोण्डागांव जिले से ही सर्वाधिक देवी देवता छत्रडोलियाँ एवं समाज प्रमुख भाग लेते हैं। आदिम संस्कृति और परम्परा को अनुसार ग्राम देवी-देवताओं की भव्य विदाई का आयोजन किया गया था। 
उल्लेखनीय है कि बस्तर दशहरा में शामिल होने के लिए जिले के अलावा उड़ीसा राज्य के सीमावर्ती गांव के देवी-देवता भी प्रस्थान करते हैं। इनमें ग्राम रांधना, कोकोड़ी, बालोण्ड, भाटगांव, पिटिसपाल, पाथरी, बालेंगा, माण्डोकीखरगांव, खुटडोबरा, चरकई, खालेपारा, कोपाबेड़ा, अरगुला, तारगांव, छोटेराजपुर, किबेकोंगा, डोडरेसिमोड़ा, तितरवण्ड, बड़डोई, डोंगरसिलाटी, हल्दा, बिवला, आमानार, गम्हरी, फुण्डेरपानी, गडरासिमोड़ा गांव से माँ हिगंलाजिंन, मावली माता, आंगादेव, बुढ़ी माता, शीतला माता, चिलगाईन माता, फुलकुंवर, कुंवारी मावली, सोनादई, भण्डारिन माता जैसे ग्राम देवी-देवता सम्मिलित होते हैं। 
इस दौरान ग्राम पुजारियों ने चर्चा में बताया कि उनके पूर्वज ब्रिटिश काल से ही बस्तर दशहरा में सम्मिलित होते रहे हैं। इसके लिए पूर्व में ग्रामीण चार-पांच दिन पहले ही छत्रडोलियों एवं अन्य लाव-लश्कर के साथ पदयात्रा प्रारंभ कर देते थे। समय के साथ अब जाने के लिए वाहनों का उपयोग हो रहा है। मौके पर सभी ग्राम प्रमुखों को अंग वस्त्र देकर शुभकामनाऐं दी। इस दौरान जनपद अध्यक्ष शिवलाल मण्डावी, जनप्रतिनिधियों सहित सभी समाजों के प्रमुख पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में जिलेभर से पेंग पुरखा, गायता, मांझी, मुखिया एवं पुजारी उपस्थित रहे।