सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्रों में से एक टेक्सटाइल्स को राहत का एक और डोज जल्द

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देश में कपड़ा क्षेत्र को राहत देने के मकसद से सरकार की उत्पादन आधारित इंसेंटिव स्कीम अगले महीने से देश में शुरू हो सकती है। हिन्दुस्तान को आधिकारिक सूत्रों के जरिए मिली जानकारी के मुताबिक ये योजना बिल्कुल अंतिम पड़ाव पर है।

कपड़ा मंत्रालय की तरफ से योजना से जुड़ा कैबिनेट नोट मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। एक से दो हफ्तों में इसे कैबिनेट की मंजूरी भी मिल सकती है जिसके बाद इसे अमलीजामा पहनाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक इस योजना से करीब 11 हजार करोड़ रुपये की राहत पूरे उद्योग को मिलेगी। इससे न सिर्फ वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धा में भारतीय कारोबारियों को फायदा होगा। बल्कि बड़े पैमाने पर नौकरियां भी पैदा होंगी।

कुल इंसेंटिव में से 7 हजार करोड़ रुपये का इंसेंटिव मैन मेड फाइबर के लिए रखा जा सकता है। वहीं, करीब 4 हजार करोड़ रुपए की राहत टेक्निकल टेक्सटाइल के लिए दी जा सकती है। नए टेक्सटाइल मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद पीयूष गोयल ने इस नीति की व्यापक स्तर पर समीक्षा करने के बाद पिछले ही हफ्ते इसे मंजूरी दी है और कैबिनेट नोट तैयार किया गया है।

इससे पहले जुलाई महीने में ही टेक्सटाइल निर्यात पर टैक्स छूट की योजना की समय अवधि मार्च 2024 तक बढ़ा दी गई थी। केंद्र सरकार ने वित्तवर्ष 2021-22 के लिए करीब 2 लाख करोड़ रुपए की उत्पादन आधारित इंसेंटिव योजना का ऐलान किया था। इससे जरिए सरकार की टेक्सटाइल समेत 13 क्षेत्रों को राहत देने की तैयारी है। इस स्कीम के जरिए सरकार कपड़ा क्षेत्र से जुड़े 40 तरह के फाइबर और टेक्निकल टेक्सटाइल की 10 कैटेगरी में इंसेंटिव दे सकती है। एक तय सीमा के उत्पादन के आधार पर कारोबारियों को 3 से 11 फीसदी तक इंसेंटिव मिल सकता है।

कृषि के बाद ये देश में दूसरा सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र

आंकलन के मुताबिक कृषि के बाद ये देश में दूसरा सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला क्षेत्र है। इससे करीब साढ़े 4 करोड़ लोगों को सीधे तौर पर और 6 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला हुआ है। पिछले कुछ सालों में बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देशों से भारत को वैश्विक बाजारों में बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। साथ ही टेक्सटाइल और गार्मेंट निर्यात में भी आपेक्षित सफलता नहीं मिली। उत्पादन आधारित इंसेंटिव योजना के बाद उम्मीद की जा रही है कि वैश्विक बाजार में भारत की खोई जगह पर पकड़ और मजबूत हो सकती है। साथ ही एक्सपोर्ट में भी इजाफा होना तय है।