विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के साथ त्योहारी मांग निकलने से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह सरसों, सोयाबीन सहित लगभग सभी तेल-तिलहनों में लाभ दर्ज हुआ। बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह विशेषकर सोयाबीन दाने की किल्लत के कारण इस तेल के भाव रिकॉर्ड स्तर पर जा पहुंचे। इसी तरह सरसों की मंडियों में आवक कम होने से सरसों तेल-तिलहन के भाव भी मजबूत हो गये। उन्होंने कहा कि आमतौर पर सोयाबीन तेल का भाव सरसों से लगभग पांच रुपये किलो नीचे रहता था, लेकिन इस बार सोयाबीन तेल के भाव सरसों से लगभग 15 रुपये किलो अधिक चल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सोयाबीन से तेल की प्राप्ति लगभग 18 प्रतिशत की होती है, जबकि सरसों से तेल प्राप्ति 40-42 प्रतिशत की होती है।
सूत्रों ने कहा कि सहकारी संस्था हाफेड को अभी भी बाजार भाव पर सरसों की
खरीद करते हुए स्टॉक बना लेना चाहिये, ताकि हाफेड की पेराई मिलें चल सकें
और अगली बिजाई के लिए सरसों का पहले से पर्याप्त इंतजाम रहे। बिजाई के लिए
जिस तरह से सोयाबीन बीज की दिक्कत हुई, वह सरसों के मामले में न हो। इस बार
किसानों को जो समर्थन मिला है उसे देखते हुए उम्मीद की जा रही है कि आगामी
सत्र में सरसों का उत्पादन लगभग दोगुना बढ़ जायेगा। सोयाबीन का उत्पादन कम
रहने से सोयाबीन की किल्लत है और जो उत्पादन हुआ भी है उसमें काफी मात्रा
में माल दागी है जिसे सोयाबीन की बड़ियां बनाने वाली कंपनियां कम इस्तेमाल
में लाती हैं। इसके अलावा इस बार सोयाबीन के तेल रहित खल (डीओसी) का जून
महीने तक निर्यात पिछले साल के मुकाबले लगभग 300 प्रतिशत बढ़ने से डीओसी की
स्थानीय मांग को पूरा करने में मुश्किल आ रही है। इन सब कारणों से सोयाबीन
के भाव काफी चढ़े हुए हैं।
सूत्रों का मानना है कि स्थानीय मांग को पूरा करने के लिए सरकार को डीओसी
के निर्यात पर रोक लगा देनी चाहिये। सोयाबीन की बढ़ती मांग को देखते हुए
समीक्षाधीन सप्ताह में राजस्थान के नीमच में सोयाबीन दाना का प्लांट
डिलिवरी भाव 9,225 रुपये क्विन्टल हो गया जो एक रिकॉर्ड है। जबकि
महाराष्ट्र के नांदेड में सोयाबीन दाना का प्लांट डिलिवरी हाजिर भाव 9,600
रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। इससे पॉल्ट्री वालों की मुश्किलें
बढ़ गई हैं। सोयाबीन की अगली फसल अक्टूबर में आयेगी। उन्होंने कहा कि
सोयाबीन दाने की कमी की वजह से राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे कई स्थानों पर
तेल पेराई मिलें लगभग 80 प्रतिशत की संख्या में बंद हो चुकी हैं।
विदेशों में तेजी के अलावा गर्मी के बाद बरसात के मौसम की मांग के साथ-साथ
त्योहारी और शादी-विवाह की मांग बढ़ने से भी कीमतों में सुधार दिखा।
सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह सरसों की कमी का सामना भी करना पड़ा। देश
में सरसों की खपत के लिए प्रतिदिन तीन से साढ़े तीन लाख बोरी की मांग होती
है लेकिन मंडियों में आवक लगभग दो लाख बोरी की ही है। पेराई मिलों के पास
सीमित मात्रा में सरसों का स्टॉक है जबकि व्यापारियों के पास सरसों का
स्टॉक नहीं है। अचार बनाने वाली कंपनियों, त्योहारी मांग और हरी सब्जियों
के मौसम की मांग है जो आगे और बढ़ने ही वाली है।
सरसों संवर्धन परिषद के एक विशेषज्ञ ने कहा कि सरसों की अगली फसल आने में
लगभग सात-आठ महीने की देर है और मार्च-अप्रैल के दौरान सरसों से रिफाइंड
बनाये जाने के कारण सरसों की मौजूदा किल्लत हुई है। उन्होंने कहा कि आने
वाले दिनों में सरसों की किल्लत और बढ़ेगी। सरसों दाने की कमी होने की वजह
से सलोनी, आगरा और कोटा में इसका भाव पिछले सप्ताह के 8,000 के मुकाबले
बढ़कर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 8,200 रुपये क्विन्टल हो गया। उन्होंने कहा
कि मुर्गी दाने की दिक्कत को देखते हुए महाराष्ट्र में सोयाबीन के तेल
रहित खल (डीओसी) का भाव पिछले सप्ताह के 7,100 रुपये से बढ़कर समीक्षाधीन
सप्ताह में 8,200 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया।
बीते सप्ताह सरसों दाने का भाव 130 रुपये का लाभ दर्शाता 7,725-7,775 रुपये
प्रति क्विन्टल हो गया, जो पिछले सप्ताहांत 7,595-7,645 रुपये प्रति
क्विंटल था। सरसों दादरी तेल का भाव भी 300 रुपये बढ़कर 15,300 रुपये प्रति
क्विन्टल हो गया। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव भी
समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 55-55 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश:
2,500-2,550 रुपये और 2,600-2,710 ,,, रुपये प्रति टिन पर बंद हुए। सोयाबीन
के तेल रहित खल (डीओसी) की भारी स्थानीय और निर्यात मांग के कारण सोयाबीन
दाना और लूज के भाव क्रमश: 1,000 रुपये और 905 रुपये का सुधार दर्शाते
क्रमश: 9,000-9,050 रुपये और 8,850-8,900 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
मांग बढ़ने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली (रिफाइंड), सोयाबीन
इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव क्रमश: 250 रुपये, 800 रुपये और 50 रुपये के
सुधार के साथ क्रमश: 15,050 रुपये, 14,850 रुपये और 13,450 रुपये प्रति
क्विन्टल पर बंद हुए। स्थानीय मांग निकलने से समीक्षाधीन सप्ताहांत में
मूंगफली दाना 50 रुपये के सुधार के साथ 5,845-5,990 रुपये, मूंगफली गुजरात
50 रुपये सुधरकर 14,300 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुआ। जबकि मूंगफली
साल्वेंट रिफाइंड का भाव 10 रुपये के सुधार के साथ 2,205-2,335 रुपये प्रति
टिन पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 280 रुपये के सुधार
के साथ 11,400 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। विदेशों में दामों में आई
मजबूती के कारण पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल का भाव 50 और 400
रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 13,350 रुपये और 12,300 रुपये प्रति क्विंटल
पर बंद हुआ। सूत्रों ने कहा कि देश में लगभग 70 प्रतिशत खाद्य तेलों की
आवश्यकता को आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। उन्होंने कहा कि सरकार
के लिए तेल की इस भारी कमी को पूरा करने के लिए सीधा और टिकाऊ रास्ता यही
है कि वह तिलहन उत्पादक किसानों को प्रोत्साहन और भरोसा देकर तिलहन उत्पादन
को बढ़ाये।
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