रायपुर। आज़ादी के 70 साल बाद बस्तर के अबूझमाड़ में सरकारी योजनाओं के पहुंचने का सिलसिला शुरु हुआ है. अबूझमाड़ क्षेत्र के ग्राम कुरूसनार के सत्यनारायण उसेंडी ने पहली बार लैम्पस में 16 हज़ार रुपये के धान बेचने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बात की. सवाल है कि क्या इससे अबूझमाड़ की तस्वीर बदल जाएगी. या ये केवल एक तस्वीर भर थी.
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अबूझमाड़ के किसान सत्यनारायण उसेंडी के
बीच का वार्तालाप ऐतिहासिक है. ऐतिहासिक इसलिए कि ये दुनिया भर के लिए अब
तक अबूझ पहले रहे अबूझमाड़ में सरकारी योजनाओं के दस्तक का वीडियो है. पहली
बार इस क्षेत्र के किसानों को सरकारी योजना का पहली बार लाभ मिला है. उसके
धान की सरकारी खरीदी का लाभ मिलने के बाद वहां के एक किसान सत्यनारायण
नारायणपुर जिले में विकास कार्यों के लोकार्पण और भूमिपूजन कार्यक्रम में
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का धन्यवाद दिया.
इसी बाचचीत में अबूझमाड़ के सत्यनारायण उसेंडी ने बताया कि उनके यहां
के किसानों ने बोरवेल भी कराए हैं, तालाब भी बनवाए. दरअसल ओरछा ब्लाक के 4
गांव में राजस्व सर्वे का काम पूरा हो चुका है. जो आज़ादी के 70 सालों तक
नहीं हो पाया था. सरकार इसे ऐतिहासिक बता रही है
घने जंगल, नदी, पहाड़ से घिरे अबूझमाड़ का राजस्व सर्वे करने के
प्रयास मुगल बादशाह अकबर के समय से चल रहा है. अंग्रेजों ने भी वर्ष 1909
में कोशिश की पर भौगोलिक चुनौतियों से नहीं निपट पाए. आज़ादी के बाद कई दफा
ये कोशिश हुई लेकिन हर कोशिश नाकाम रही. 80 के दशक के बाद अबूझमाड़
नक्सलियों के कब्जे में आ गया. ये राजस्व सर्वे का विरोध कर रहे थे.
तात्कालीन रमन सरकार ने 11 मई 2007 में नारायणपुर को जिला बनाया. इसके बाद
राजनांदगांव जिले से राजस्व निरीक्षकों की टीम अबूझमाड़ का सर्वे करने के
लिए भेजी गई, लेकिन यह टीम डर कर लौट आई. 2009 में सरकार ने अबूझमाड़ के
सर्वे के लिए 22 राजस्व निरीक्षकों की भर्ती की, लेकिन एक ने भी नौकरी
ज्वाइन नहीं की.
आखिरकार अक्टूबर 2016 में सरकार ने आइआइटी रुड़की की मदद से भौगोलिक
सूचना प्रणाली और दूरसंवेदी उपग्रह के जरिये यहां के 44 सौ किलोमीटर में
फैले 237 गांव का सैटेलाइट सर्वे कराया. हालांकि भौतिक सत्यापन के लिए
सर्वे टीम का गांव तक पहुंचना जरूरी था. इस काम में तेज़ी भूपेश बघेल के
मुख्यमंत्री बनने के बाद आई. भौतिक सत्यापन के लिए राजस्व विभाग की टीमें
नारायणपुर जिले के ओरछा और नारायणपुर विकासखंड के गांवों का सर्वेक्षण का
काम कर रही है. ओरछा विकासखंड के 4 गांवों को प्रारंभिक सर्वेक्षण पूरा हो
गया है. उन्हें भुइंया सॉफ्टवेयर से जोड़ दिया गया है. आदिवासी समाज के
नेता इसे क्रांतिकारी बता रहा है.
विकास के ऐतिहासिक दस्तक के बाद बीजेपी भी इसका श्रेय लेने में जुट गई
है. बीजेपी का कहना है कि इस काम का आगाज़ उसकी सरकार ने किया था.
हालांकि अभी केवल शुरुआत है. शुरुआत 4 गांव से हुई है. 4 गांव का
रिकार्ड बनाने में 70 साल लग गए. अभी भी ओरछा ब्लॉक के 237 और नारायणपुर
विकासखंड के 9 गांवों में सर्वेक्षण होना शेष है. अब सवाल है कि इसमें
कितना वक्त लगता है.
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