बिलासपुर। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन होने के 20 साल बाद भी बिलासपुर का जिला केंद्रीय सहकारी बैंक अभी भी बिलासपुर को मध्यप्रदेश में ही मान रहा है। विडंबना की बात यह है कि छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद प्रदेश सरकार द्वारा बिलासपुर कोरबा और जांजगीर चांपा में की जा रही अति महत्वपूर्ण धान खरीदी जैसा काम भी इसी बैंक के अधीन सहकारी समितियों के द्वारा की जाती है। बावजूद इसके केंद्रीय सहकारी बैंक के अधिकारियों को इस बात का भी होश नहीं है कि इस बैंक के कैश विभाग द्वारा ग्राहकों को दिए जाने वाले टोकन की पर अभी भी अंग्रेजी में मध्यप्रदेश लिखा हुआ है।
ऐसा तो कतई नहीं हो सकता कि बैंक के पास इतने भी पैसे ना हों कि वह अपने ग्राहकों को दिए जाने वाले मध्य प्रदेश के जमाने की टोकन को बदलकर नए छत्तीसगढ़ वाले ऐसे टोकन न बनवा सके। जिस पर बिलासपुर को छत्तीसगढ़ में दिखाया गया हो। दरअसल यह छत्तीसगढ़ और बिलासपुर जिले की अस्मिता तथा छत्तीसगढ़ गौरव की भावना का मामला है। बैंक के अधिकारियों में अगर जरा सी भी यह भावना रहती तो वे बिलासपुर को मध्यप्रदेश में नहीं बताते। छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुए 20 साल हो चुके हैं। इसके बावजूद जिला केंद्रीय सहकारी बैंक ने छत्तीसगढिय़ा टोकन अभी तक क्यों नहीं बनवाए हैं..? और उनके द्वारा ग्राहकों को दिए जा रहे तो टोकन में अभी तक बिलासपुर को मध्यप्रदेश में क्यों बताया जा रहा है..?
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